मैं दिनेश तिवारी ग्राम पोस्ट ऑफिस सुरे जिला अल्मोड़ा http://dineshtiwari.blogspot.in
Wednesday, December 12, 2012
Friday, December 7, 2012
Thursday, December 6, 2012
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित कपकोट-दानपुर क्षेत्र के हर तीसरे घर में प्रसिद्ध वाद्य यन्त्र 'हुड़का' होता था चाहे किसी के घर में शादी हो, घर में पूजा हो,जागर अथवा घन्याली, कोई त्यौहार या कोई महोत्सव हो उस रात्रि को यहाँ के लोग एकत्रित होकर चांचरी गाकर अपना मनोरंजन करते हैं। यहाँ के मेलों में हर साल नए-नए झोड़े-चांचरी का निर्माण होता था। लोग इन आयोजनों से पहले अपने हुडके को ठीक करते थे, हुड़
के को विभिन्न रिब्बनों से सजाते थे। वे यह तय करते थे कि वे आज कौन सी चांचरी गायेंगे और इन आयोजनों समाप्ति के पश्च्यात भी वे एक दूसरे को बताते थे कि उन्होंने आज ये चांचरी गायी, एक ने ये जोड़ मारा, फिर दूसरे ने इस जोड़ का उत्तर इस जोड़ से दिया इत्यादि- इत्यादि। लेकिन आज हमारा दानपुर भी अन्य शहरों की भांति पश्चिमी सभ्यता के चकाचौंध से अछूता नहीं है। पहले भी भांति आज न तो कोई जागर,घन्याली और न ही धूनी आदि के आयोजन हो रहे हैं और न ही लोग किसी के घर में लोग जाना चाहते हैं। कोई जाते भी हैं तो सिर्फ रिश्ते-नातेदारी निभाने के लिए। आज यह 'हुड़का' सिर्फ एक धरोहर के रूप में रह चुका है। गिने-चुने लोगों के पास ही हुड़का उपलब्ध है। आज यदि हमें अपनी संस्कृति बचानी है तो हमें अपने 'हुड़के' जैसे वाद्य यंत्रों का भी संरक्षण करना होगा।
Tuesday, November 20, 2012
Saturday, November 3, 2012
Friday, November 2, 2012
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