उत्तरांचल
फलों के कारोबार
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फल यहाँ पर बहुत होते हैं। फलों के यहाँ पर अनेक बगीचे भी हैं। सेब सबसे बढिया जलना के होते थे। यह मशहूर बगीचा जनरल हीलर साहब का था, अब नैनीताल के सेठ लाला शिवलाल परमसाह का है। नाना प्रकार की चीजें यहाँ होती हैं। नारंगियाँ, सोर व गंगोली बहुत प्राचीन काल से होती आई है। अन्यत्र भी होती हैं। पहाड़ी नारंगियाँ बहुत अच्छी होती है, यद्यपि नागपुर व सिलहट के संतरों के मुकाबले में ये घटिया प्रतीत होने लगी है। यहाँ पर नारंगी की खेती को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। नींबू यहाँ का बहुत अच्छा व बड़ा होता है।
तराई-भावर में आम, कटहल, पपीता, केला आदि के बड़े-बड़े बाग हैं। अस्कोट में केले व आम अच्छे होते हैं। आम वाली पछाऊँ में भी खूब होता है।
उत्तरांचल
फलों के कारोबार
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फल यहाँ पर बहुत होते हैं। फलों के यहाँ पर अनेक बगीचे भी हैं। सेब सबसे बढिया जलना के होते थे। यह मशहूर बगीचा जनरल हीलर साहब का था, अब नैनीताल के सेठ लाला शिवलाल परमसाह का है। नाना प्रकार की चीजें यहाँ होती हैं। नारंगियाँ, सोर व गंगोली बहुत प्राचीन काल से होती आई है। अन्यत्र भी होती हैं। पहाड़ी नारंगियाँ बहुत अच्छी होती है, यद्यपि नागपुर व सिलहट के संतरों के मुकाबले में ये घटिया प्रतीत होने लगी है। यहाँ पर नारंगी की खेती को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। नींबू यहाँ का बहुत अच्छा व बड़ा होता है।
तराई-भावर में आम, कटहल, पपीता, केला आदि के बड़े-बड़े बाग हैं। अस्कोट में केले व आम अच्छे होते हैं। आम वाली पछाऊँ में भी खूब होता है।
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